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Showing posts from May, 2016

JATIWAAD

III नमो भारत III जय भारत III ''जातिवाद एक घातक बीमारी '' उत्पत्ति: विकास की प्रक्रिया के दौरान अनेक जीवों का विकास हुआ। जैसे - बिल्ली, शेर, बंदर, मनुष्य आदि। ये सभी अलग -अलग जाति से सम्बन्ध रखते है। परन्तु यह मनुष्य पर लागू नहीं होता है, क्योंकि मनुष्य स्वयं एक जाति है। जिसे अन्य जातियों में विभाजित नहीं किया जा सकता है। परन्तु दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि यह जाति आधारित व्यवस्था केवल भारत में है। आज से लगभग ४ हजार साल पहले, विदेशी कबीले भारत आये। धोखा और छल से इस देश के मूल निवासियों को गुलाम बनाये। परन्तु जब उन्हें एहसास हुआ कि वे संख्या में कम है, तो उन्होंने फूट डालो और शासन करो की नीति के तहत जाति व्यवस्था की नीव रखी। एक मनुष्य जाति को ६,७४३ जातियों में विभाजित किया। उनके बीच जाति रुपी दिवार खड़ा कर दिया। आपस में भाई चारा न रहे, इसके लिए जाति के आधार पर बड़े -छोटे का भेद कर दिया। इस काम में वे सफल रहे, क्योंकि आज तक यह व्यवस्था बनी हुई है। समय - समय पर इसे मजबूत करने के लिए पोषण की व्यवस्था की जाती रही है। आज देश की जो भी समस्याएं मौजूद है, ...

ANDHWISWAS

III नमो भारत III जय भारत III ''अन्धविश्वास'' अन्धविश्वास भारत की प्रमुख समस्याओं में से एक है। जिनकी जड़े वैदिक समय से ही भारत भूमि में विराजमान है दरसल अन्धविश्वास हमारे देश की संस्कृति में कभी था ही नहीं। हमारे देश की संस्कृति श्रमण संस्कृति के नाम से जानी जाती थी, जिसमे लोग श्रम पर , विज्ञानं पर, तर्क पर, विश्वास करते थे। आर्यों के आगमन के बाद वैदिक संस्कृति विकसित हुई जिसमे अन्धविश्वास को प्रमुखता से जगह दी गई ताकि विशाल आबादी को गुलाम बनाया जा सके। इसके लिए भाग्य और भगवान को इसके केंद्र में रखा गया। व्यक्ति को मानसिक रूप से गुलाम बनने के लिए उसके मस्तिष्क में अन्धविश्वास भरा जाए। अन्धविश्वास रूपी गाड़ी को चलाने के लिए भाग्य भगवान , डायन , भूत , पिचास , प्रेत , जादू - टोना, व्रत , पूजा - पाठ , हवन , पुर्नजन्म इत्यादि का सहारा लिया जाता है। देश की बड़ी आबादी आज इस बीमारी से ग्रसित थे। अफ़सोस की बात तो यह है की इस रेस में पड़े लिखें इंजीनियर , डॉ. इत्यादि भी शामिल है।  देश की प्रगति व् विकास में अन्धविश्वास भुत बड़ा बाधक है। समाज में अनेक प्रकार के अन्धविश्वास को देखा ...