Aaj ke yuva

आज के युवा भगत सिंह जो युवाओ के आदर्श है . (सिर्फ खयाली , उनके कर्मों ओर जीवन से बहुत कम लोगों का सरोकार दिखता है.) भगत सिंह के एक लेख "युवा" से- युवा अवस्था मानव जीवन का वसंत काल है। उसे पाकर मनुष्य मतवाला हो जाता है। हजारो बोतल का नशा छा जाता है। विधाता की दी हुए सारी शक्तियाँ एक साथ मिलकर फुट पड़ती है। लेख के अनुसार एक युवा के पास खुद के कुछ नियम , कुछ आदर्श , और सबसे बड़ी बात एक स्वतंत्र नजरिया होना चाइए। यंहा स्वतन्त्रता का मतलब है- अपने कर्मो के द्वारा दूसरे की स्वतंत्रता को बाधित ना होने देना । वर्तमान समय मे युवा पीढ़ी भगत सिंह को अपना आदर्श तो समझता है लेकिन उनके जैसी कुर्बानी की बात सोचना भी युवा के लिए नामुमकिन हैं। क्यों कि ये सामाजिक आज़ादी , भरस्टाचार, गरीबी , लाचारी, सामाजिक कुरूतियों जैसे बहुत से समस्याओं से निजाद चाहते हैं, पर इनके पास ना समय हैं और ना ही किसी प्रकार की कोई प्रेरणा। ये सिर्फ आदर्शवादी बाते कर के अपने मन को हल्का कर लेते हैं। समाज मे जाकर कार्य करने की बात तो दूर , हम अपने जीवन मे भी किसी प्रकार की स्वतंत्रता को स्थान नही देते है।किसी भ...