Aaj ke yuva
आज के युवा
भगत सिंह जो युवाओ के आदर्श है . (सिर्फ खयाली , उनके कर्मों ओर जीवन से बहुत कम लोगों का सरोकार दिखता है.)
भगत सिंह के एक लेख "युवा" से- युवा अवस्था मानव जीवन का वसंत काल है। उसे पाकर मनुष्य मतवाला हो जाता है। हजारो बोतल का नशा छा जाता है। विधाता की दी हुए सारी शक्तियाँ एक साथ मिलकर फुट पड़ती है।
लेख के अनुसार एक युवा के पास खुद के कुछ नियम , कुछ आदर्श , और सबसे बड़ी बात एक स्वतंत्र नजरिया होना चाइए।
यंहा स्वतन्त्रता का मतलब है- अपने कर्मो के द्वारा दूसरे की स्वतंत्रता को बाधित ना होने देना ।
वर्तमान समय मे युवा पीढ़ी भगत सिंह को अपना आदर्श तो समझता है लेकिन उनके जैसी कुर्बानी की बात सोचना भी युवा के लिए नामुमकिन हैं। क्यों कि ये सामाजिक आज़ादी , भरस्टाचार, गरीबी , लाचारी, सामाजिक कुरूतियों जैसे बहुत से समस्याओं से निजाद चाहते हैं, पर इनके पास ना समय हैं और ना ही किसी प्रकार की कोई प्रेरणा। ये सिर्फ आदर्शवादी बाते कर के अपने मन को हल्का कर लेते हैं। समाज मे जाकर कार्य करने की बात तो दूर , हम अपने जीवन मे भी किसी प्रकार की स्वतंत्रता को स्थान नही देते है।किसी भी विषय पर बाते करने में हम सुलझे हुए दिखाई देते है पर ऐसा है नही।
देश मे सफाई होनी चाहिए , हर भारतीय इससे सहमत हैl खाली हाथ आये थे खाली हाथ जाएंगे ,सहमत। आप आदर्शो की लिस्ट बनायेगे तो लिस्ट बहुत लंबी बनेगी । पर क्या इस लिस्ट पर आपने अपने बच्चों को चलना सिखाया है? जब छोटे से ही बच्चों को कर्म और वचन को अलग अलग करके स्वार्थपूर्ण जीवन जीना सिखा रहे है तो बाद में आप व्याकुल क्यों होते है?
वर्तमान भारत मे युवाओं को एक साथ दो परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। एक जो बातें उन्हें सिखाई जाती है ,सदा सत्य बोलो, ईमानदार रहो, प्रेम ही जीवन का लक्ष्य है, किसी को दुखी मत करो ,बड़ो का सम्मान करो वगैरह वगैरह। दूसरी तरफ यह आदर्शवाद बिल्कुल नही चलता । यह वह समाज है, जिसकी कथनी और करनी में अंतर से परेशान होकर आज का युवा अपना एक नया आदर्श बना रहा है। आज के युवा अपने जीवन को बेहतर बनाने को दौड़ रहा है उसे फर्क नही पड़ता कि नया समाज और नया आदर्श , वह बस अपने सुख और सुकून चाहता है।
देश मे हजारों विचारवान ने समय समय पर व्यवस्था से लोहा ले लेकर अपने इसी सुख के लिए प्राण न्योछावर कर दिए। आज के युवा इसी के पीछे भाग रहा है। वे सच में वही हैं ,जिसके लिए लोगो ने बलिदान दिया या कुछ और ऐसा जो युवाओं को भ्रम में डाले हुए है।
एक विचारक
Comments
Post a Comment