III नमो भारत III जय भारत III ''बिरसा मुंडा ने तीर कमान से किया था अंग्रेज़ों की गोलियों का सामना'' आज़ादी की लड़ाई में कई आदिवासी क्रांतिकारियों ने भी अहम भूमिका निभाई, इनमें से ही एक थे बिरसा मुंडा। बिरसा मुंडा एक आदिवासी नेता और लोक-नायक थे जो कि मुंडा जाति से संबंधित थे। अगर हम आज की बात करें तो भारत में रांची और सिंहभूमि के आदिवासी बिरसा मुंडा को अब ‘बिरसा भगवान’ कहकर याद करते हैं। दरअसल मुंडा आदिवासियों को अंग्रेज़ों के दमन और अत्याचार के विरुद्ध खड़ा करके बिरसा मुंडा ने यह सम्मान अर्जित किया था। 19वीं सदी में बिरसा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक मुख्य कड़ी साबित हुए थे। उनके द्वारा चलाया जाने वाला सहस्राब्दवादी आंदोलन ने बिहार और झारखंड में खूब प्रभाव डाला था| केवल 25 वर्ष के जीवन में उन्होंने इतने मुकाम हासिल कर लिए थे कि आज भी भारत की जनता उन्हें याद करती है। कौन थे बिरसा मुंडा बिरसा मुंडा का जन्म 1875 ई. में झारखण्ड राज्य के रांची में हुआ था। बिरसा के पिता ‘सुगना मुंडा’ जर्मन धर्म प्रचारकों के सहयोगी थे। उन्होंने कुछ दिन तक ‘चाईबासा’ ...
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III नमो भारत III जय भारत III '' राष्ट्रवाद, न कि हिन्दू राष्ट्रवाद! '' वर्तमान राजनैतिक स्थिति के संदर्भ में ‘‘हिंदू धर्म, पारंपरिक रूप से, अन्य सभी भारतीय धर्मों से तुलनात्मक रूप में सबसे अधिक असहिष्णु रहा है। हाल में कट्टरवादियों द्वारा फैलाये जा रहे धार्मिक तनाव और घृणा फैलाने वाले भाषणों से ऐसा लगता है कि हिंदू धर्म अपना सौम्य चेहरा बदल रहा है। इन दिनों हिन्दू के नाम पर बहुत ही बुरी तरीके से राजनीति हो रही है। हमें इसे गंभीरता से समझने की जरुरत है। हिन्दू का वास्तविक मतलब ही है -गैरबराबरी। जब हम हिन्दू हैं तो गैरबराबरी में अर्थात विभिन्न जातियों जैसे यादव, कुर्मी, माली, चमार, ब्राह्मण में क्यों बंटे हैं ? किसने बांटा हैं हमें ? कब तक हम बंटे रहेंगे ? कब हम वास्तविकता को अपनाएंगे ? जातियो में बांटकर समाज की एकता एवम भाईचारे को तोड़कर हम पर शासन किया गया है। उस समय जब मूल निवासियों की एकता एवम अखंडता को तोड़ कर शासन करने लिए जातीय व्यवस्था बनाई गई थी। अगर इस न किया गया होता तो आज ब्राह्मणवाद का नामों निशान न होता। इन दिनों आरएसएस की विचारधारा, अर्थात हिंदुत्व ...
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