III केजरीवाल का नए साल पर दिल्ली पुलिस को तोहफा III
III केजरीवाल का नए साल पर दिल्ली पुलिस को तोहफा III
साथियों, आज भारत के इन शासको पर पूर्णतया विश्वास कर लेना खतरे से खाली नहीं है। कब , कहाँ और कैसे अपना उल्लू सीधा करने के लिए जनता को धोखा देंगे , इसका आकलन साधारण जनता के द्वारा कर पाना बहुत ही कठिन है। केजरीवाल सरकार बाहर से तो केंद्र सरकार तथा दिल्ली पुलिस का विरोध करते हुए जनता की हितैसी बनती है परन्तु आंतरिक रूप से ये एक दूसरे के सहयोगी है। पांच साल बीतने से पहले आप यह भली -भांति समझ जायेंगे।
केजरीवाल सरकार से पहले हर रेड लाइट पर ट्रैफिक पुलिस तथा जहा मौका मिला दिल्ली पुलिस का पहरा होता था। जिसमे वे अपनी ड्यूटी का बहाना लेकर अपना शिकार ढूढ़ते रहते थे और अँधा -धुंध कमाते थे। एक पुलिस वाले के बच्चे की रिपोर्ट के अनुसार उसके पिता जी प्रतिदिन १० से १५ हजार रूपये लाते थे।
जब से केजरीवाल सरकार आई, दिल्ली पुलिस भूखे चूहे की तरह भूखे छटपटा रही है। अब केजरीवाल ही क्या करते? पांच साल सरकार चलना है तो दिल्ली पुलिस से समझौता तो करना ही पड़ेगा। इस बात को लेकर उन्होंने जनता को प्रदूषण के नाम पर मूर्ख बनाने का तथा दिल्ली पुलिस को नया तोहफा देने का सही फार्मूला पेश कर रही है।
इस फार्मूले को इतना कठिन बनाया गया है की आम जनता को हर कदम पर जनता रूल के खिलाफ जाने पर मजबूर होगी। अब २ हजार चालान देने के बजाय हर व्यक्ति अपने हित में कम से कम में निपटना चाहेगा और वह पैसा सीधे दिल्ली पुलिस वालों को मालामाल करेगा।
हर स्तिथि में आम जनता ही शिकार होती है ऐसा क्यों ? विचार करें। जब तक अच्छे और ईमानदार लोग चुप रहेंगे ऐसा ही तुगलकी फरमान आता रहेगा और हम जैसे लोग उसका शिकार होते रहेंगे।
सम्राट प्रियदर्शी युथ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया
विशिष्ट समाज सेवी संगठन
मुख्यालय : प्लाट न. - ३ सेक्टर १६ बी , द्वारका नई दिल्ली -७८
फोन न। - ०११ - 25340035 I
साथियों, आज भारत के इन शासको पर पूर्णतया विश्वास कर लेना खतरे से खाली नहीं है। कब , कहाँ और कैसे अपना उल्लू सीधा करने के लिए जनता को धोखा देंगे , इसका आकलन साधारण जनता के द्वारा कर पाना बहुत ही कठिन है। केजरीवाल सरकार बाहर से तो केंद्र सरकार तथा दिल्ली पुलिस का विरोध करते हुए जनता की हितैसी बनती है परन्तु आंतरिक रूप से ये एक दूसरे के सहयोगी है। पांच साल बीतने से पहले आप यह भली -भांति समझ जायेंगे।
केजरीवाल सरकार से पहले हर रेड लाइट पर ट्रैफिक पुलिस तथा जहा मौका मिला दिल्ली पुलिस का पहरा होता था। जिसमे वे अपनी ड्यूटी का बहाना लेकर अपना शिकार ढूढ़ते रहते थे और अँधा -धुंध कमाते थे। एक पुलिस वाले के बच्चे की रिपोर्ट के अनुसार उसके पिता जी प्रतिदिन १० से १५ हजार रूपये लाते थे।
जब से केजरीवाल सरकार आई, दिल्ली पुलिस भूखे चूहे की तरह भूखे छटपटा रही है। अब केजरीवाल ही क्या करते? पांच साल सरकार चलना है तो दिल्ली पुलिस से समझौता तो करना ही पड़ेगा। इस बात को लेकर उन्होंने जनता को प्रदूषण के नाम पर मूर्ख बनाने का तथा दिल्ली पुलिस को नया तोहफा देने का सही फार्मूला पेश कर रही है।
इस फार्मूले को इतना कठिन बनाया गया है की आम जनता को हर कदम पर जनता रूल के खिलाफ जाने पर मजबूर होगी। अब २ हजार चालान देने के बजाय हर व्यक्ति अपने हित में कम से कम में निपटना चाहेगा और वह पैसा सीधे दिल्ली पुलिस वालों को मालामाल करेगा।
हर स्तिथि में आम जनता ही शिकार होती है ऐसा क्यों ? विचार करें। जब तक अच्छे और ईमानदार लोग चुप रहेंगे ऐसा ही तुगलकी फरमान आता रहेगा और हम जैसे लोग उसका शिकार होते रहेंगे।
सम्राट प्रियदर्शी युथ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया
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