||| देशहित में अँधा |||

||| नमो भारत ||| जय भारत ॥।


आज जब हम भारत देश की बात करे तो बहुत लोगो ने देश का नुकसान किया है। भरस्टाचार, दोगलेपन , झूट , जातिवाद , उच्च - नीच,  गरीबी ,  आज इन चीजो को बदलने की बात करे तो लोग आप के साथ कम आपके खिलाफ ज्यादा होते है।  लोगो का कहना है आप इन से नहीं लड़ सकते हो। आज हर इंसान में बस चूका है।  आज आप  के सामने कुछ ऐसे लोगों का उदहारण देना चाहूंगा जिन्होंने  देश  के  लिए  तो  शायद  नहीं  किया  लेकिन   जो  किया  है  वो वाकई    कबीले  तारीफ  है।  . 

सुधा चंद्रन- एक ऐसी महिला हैं जिनके बारे में जितना कहें, उतना कम। एशिया के सबसे गुणी भरतनाट्यम कलाकारों में से एक सुधा चंद्रन हम सभी के लिए मिसाल हैं।साल 1981 में हुए एक एक्सीडेंट में उन्होंने अपना एक पैर गंवा दिया। बाद में गैंगरीन हो जाने की वजह से डॉक्टरों को उनका एक पैर काटना पड़ा। डॉक्टरों ने कहा कि सुधा को अपने डांसिंग करियर को भूलना होगा। लेकिन सुधा ने हार नहीं मानी। एक ही पैर के साथ फिर खड़ी हुई और जयपुरिया फुट लगाने के बाद दो सालों बाद फिर ट्रेनिंग शुरू की। इसके बाद तो जो उन्होंने वापसी की वो ऐसी थी कि आज भी पूरी दुनिया में जगह-जगह अपने डांस के जौहर बिखेरती हैं।बता दें कि सुधा एक नामी टीवी और फिल्म एक्टर भी हैं।


पेट्रिक हेनरी हुग्स- पेट्रिक जन्म से नेत्रहीन हैं। यही नहीं वो बाइलैटरल एनोपथैलमिया और हिप डिस्प्ला सिया बीमारी से पीड़ित हैं। वो खुद से चल-फिर सकने में असमर्थ हैं। उनकी रीढ़ में दो स्टील की रॉड लगाई गई हैं ताकि वो बैठ सकें। कहा जा सकता है कि वो एक ऐसे शरीर के साथ जन्मे जिससे वो कुछ भी नहीं कर पाते थे। लेकिन पेट्रिक के पिता ने पेट्रिक को किसी से कमतर नहीं समझा और उन्हें नौ महीने से ही पियानो पर बिठाकर उसे सीखने की ट्रेनिंग देने लगे। पेट्रिक मीडिया की नजरों में साल 2006 में आए जब उन्हें दुनिया ने यूनिवर्सिटी ऑफ लुईसविले के एक छात्र के रूप में लुईसविले मार्चिंग बैंड का हिस्सा बने देखा। वो व्हीलचेयर पर बैठकर ट्रंपेट बजा रहे थे। आपको जानकर हैरत होगी कि नेत्रहीन और खुद से हिल-डुल ना सकने वाले पैट्रिक एक पियानिस्ट हैं, ट्रंपेट भी बजाते हैं और गाना भी गाते हैं। उनके नाम दुनियाभर के कई अवॉर्डस हैं। रोज ही वो लाखों को अपने सफर से प्रेरित करते हैं।


जेसिका कॉक्स - पहली ऐसी पायलट जो हाथों से नहीं बल्कि पैरों से विमान को उड़ाती हैं। जी हां, जेसिका के जन्म से ही हाथ नहीं थे। लेकिन इस रुकावट को उन्होंने कभी रोड़ा बनने नहीं दिया। बल्कि अपनी जिंदगी को वो रूप दिया जैसे कोई सोच भी नहीं सकता। जेसिका साइकोलॉजी में ग्रैजुएट हैं, ताइक्वॉन्डो में डबल ब्लैक बेल्ट, काफी तेज रफ्तार की ड्राइवर और पैरों से पच्चीस शब्द पर मिनट की रफ्तार से टाइप करने वाली महिला भी। यही नहीं बिना हाथों के ही वो आंखों में कॉन्टैक्ट लेंस भी डाल लेती हैं। वो एक मोटिवेशनल स्वीकर भी हैं और अपनी जिंदगी के बारे में बात करते हुए वो कई लोगों को पल-पल प्रेरित करती हैं।

स्टीफन हॉकिंस की भी कहानी ऐसी है जिसे जानकर अच्छे-अच्छे अवाक रह जाएं। वो एक ऐसे व्य‌क्ति हैं जो जन्म से ही मोटर न्यूरॉन नाम की बीमारी से पीड़ित हैं। पूरे बदन में उनके पास अगर कुछ काम करता हुआ अंग है तो वो है उनका सिर। एक विशेष तरह के व्हील चेयर और अपने सामने कंप्यूटर सिस्टम को रखकर उन्होंने वो-वो काम किए है जिसके लिए साइंस की दुनिया उन्हें हमेशा याद रखे। ग्रैविटेशनल सिंगुलैरिटीज और अन्य कई थ्योरियों पर उम्दा काम करने और उन्हें गढ़ने के लिए बड़े-बड़े टेक पंडित भी स्टीफन को मानते हैं।

जब ये लोग आपने मुकाम पा सकते है तो हम भी अपना मुकाम पा सकते है।  हमे   भी अब देश के लिए काम करने के लिए  अँधा बहरा होना होगा कौन क्या कहता हमै इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाइये।  हमे सिर्फ देश और समाज के सुधार के लिए आँख और कान खोलने है। 

सुर्यामित भारतीय
संगठन सचिव
सम्राट प्रियदर्शी युथ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया 
विशिष्ट भारतीय युवा समाजसेवी संगठन

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