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Showing posts from July, 2017

Truth behind saving the nature.

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"पर्यावरण सरंक्षण का सच" जब भी प्रदूषण , ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण को हो रहे नुकसान की बात आती है, तो अमेरिका जैसे अमीर और विकसीत देश भारत जैसे गरीब और विकासशील देशों के खिलाफ गोलबंद हो जाते है और दबंगई के साथ इन पर ही सारा दोष मढ़ देते है। कुछ ऐसा ही हाल अपने देश के अंदर भी है। स्वयं को ज्यादा बुद्धिमान और सजग -सचेत समझने वाला अमीर और साधन सम्पन वर्ग गन्दगी और प्रदूषण का ठीकरा बहुत चालाकी से गरीबों पर फोड़ देता है। ★अगर सोसाइटी का निष्पक्ष विश्लेषण करें ,तो गरीबों पर लगाये जाने वाले ये सारे आरोप निराधार साबित हो जायेगे। जहां घरों से निकलने वाले कूड़े कचरे का सवाल है तो यह नगरों महानगरों में ज्यादा बड़ी समस्या है। जो घर जितना अधिक सम्पन्न हैं वहाँ खाने पीने के पैकेज, डिब्बाबंद ओर बोतलबंद समान का इस्तेमाल अमूमन उतना अधिक है। ◆जाहिर है , किसी तरह दो जून की रोटी जुटा पाने वाले गरीबों का इस प्रकार के कचरे पैदा करने में कोई योगदान नहीं है।उल्टे , वे इस कचरे से भी अपने काम लायक चीजे चुन बीनकर ले जाते है। इसके अलावा , कूड़ा बीनने वाले गरीब चन्द रुपयों को कमाने के लिए ही सही...

which type of education are we need in our india?

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कैसी शिक्षा हमे चाइए? आज की समय मे शिक्षा को मात्र नौकरी प्राप्त करने का संसाधन समझ जाता है । तो हमे अपनी शिक्षा प्रणाली को बदलना होगा। तथागत गौतम बुद्ध ने कहा है कि किसी भी बात तो सच तभी मनना जब वह बात आपके तर्क विवेक की कसौटी पर खरी उतरे। अन्य व्यक्तियों के सम्मुख उसका औचित्य प्रमाणित कर सको और वह मानव के कल्याण के लिए हो, अन्यथा की स्थिति में किसी भी बात को सीधे अमान्य कर देना। उसे किसी भी पंरपरा, सिद्धांत , मूल्य , भाग्य, भगवान, धर्मग्रन्थ, किताब, सभ्यता , संस्कृति को नि ःसंकोच भाव से किंचित मात्र भी देर किए बिना सीधे त्याग देना। हमे शिक्षा और नैतिकता को भी इसी तरह से विस्तृत दायरे में समझने की आवश्यकता है। *नैतिकता का सही अर्थ - किसी इंसान को इंसान ही समझा जाए उससे न कम और न ज्यादा।* इसी तरह के विवेक समस्त प्रगतिशील मूल्य पूरक शिक्षण प्रशिक्षण हमारे बच्चो को प्रदान किया जाए तभी आसानी से सम्पूर्ण व समावेशी प्रगतिशील *भारतीय समाज* का निर्माण किया जा सकेगा। बच्चो में उनकी तर्कबुद्धि को विकसित करने में उत्क्रष्ट सहायक की भूमिका का निर्वहन करना एक अच्छे माता पिता एवम शिक्षक ...

badlav

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# बदलाव दोस्तो आज एक सवाल उठा है मन मे कि जब भी कोई व्यक्ति किसी भी वर्तमान सरकार की मनसा पर सवाल खड़ा करता है तो दूसरे लोग उससे यही सवाल करते है कि पिछली सरकार दूसरे पार्टी की थी तब कन्हा थे। ये कैसा सवाल है? अगर मैं अपनी बात करु तो मेरे लिए देश की ज्यादा अहमियत है, मेरे लिए यह मांयने रखता है कि पब्लिक को क्या मिला और पब्लिक ने क्या खोया। मेरा किसी भी पार्टी और किसी भी व्यक्ति विशेष से कोई भी लगाव नही है मेरा केवल इतना मनना है कि पुरानी चीजे जो शुरू से ही गलत रास्ते पर है उसका  परिवर्तन हो। और वो कोई भी सरकार नही कर सकती । कोई भी सरकार कितनी भी नियम बना ले। कुछ भी नही होगा।सरकार रहे या न रहे कोई मतलब नही। हम सही काम करे ये मेरा मानना है। एक दूसरे के हित में काम करे। सभी एक दूसरे के प्रति प्रेम और विश्वास का भाव रखे। हम देश के प्रति अपने कर्तव्य पूर्ण करे। जो गलत है उसे गलत ही कहे गलत का किसी भी प्रकार के दबाव में आकर साथ न दे। जिस दिन ऐसा बदलाव आया तो देश मे सरकार की जरूरत ही न के बराबर होगी। हम एक leader चाहते है जो हमारे हक की बात करे ।कि उसमें ऐसी quality हो तो ऐसी हो...