badlav
दोस्तो आज एक सवाल उठा है मन मे कि जब भी कोई व्यक्ति किसी भी वर्तमान सरकार की मनसा पर सवाल खड़ा करता है तो दूसरे लोग उससे यही सवाल करते है कि पिछली सरकार दूसरे पार्टी की थी तब कन्हा थे। ये कैसा सवाल है? अगर मैं अपनी बात करु तो मेरे लिए देश की ज्यादा अहमियत है, मेरे लिए यह मांयने रखता है कि पब्लिक को क्या मिला और पब्लिक ने क्या खोया। मेरा किसी भी पार्टी और किसी भी व्यक्ति विशेष से कोई भी लगाव नही है मेरा केवल इतना मनना है कि पुरानी चीजे जो शुरू से ही गलत रास्ते पर है उसका परिवर्तन हो। और वो कोई भी सरकार नही कर सकती । कोई भी सरकार कितनी भी नियम बना ले। कुछ भी नही होगा।सरकार रहे या न रहे कोई मतलब नही। हम सही काम करे ये मेरा मानना है। एक दूसरे के हित में काम करे। सभी एक दूसरे के प्रति प्रेम और विश्वास का भाव रखे। हम देश के प्रति अपने कर्तव्य पूर्ण करे। जो गलत है उसे गलत ही कहे गलत का किसी भी प्रकार के दबाव में आकर साथ न दे। जिस दिन ऐसा बदलाव आया तो देश मे सरकार की जरूरत ही न के बराबर होगी।
हम एक leader चाहते है जो हमारे हक की बात करे ।कि उसमें ऐसी quality हो तो ऐसी हो, लेकिन हम खुद में वो quality क्यों नही लाते। दुसरो पर क्यो आश्रित रहे। हमे दुसरो पर आश्रित रहने की आदत हो गई है। जो बदलना जरूरी है। अगर हमे कोई प्रॉब्लम है तो हमे खुद उसके stand लेना होगा। यही एक मात्र उपाय है देश को सही रास्ते पर लाने के लिए। हमे मोदी जी या मनमोहन जी नही चाहिए हमे "स्वयम" चाहिए।
"अगर पिछली सरकार ने गलत किया है तो मैंने उसका विरोध किया है और वर्तमान सरकार ने गलत किया है तो उसका भी विरोध किया है।"
सरकार आती जाती रहती है पब्लिक वही रहती है।
सरकार आती जाती रहती है पब्लिक वही रहती है।
सूर्यमित भारतीय
Comments
Post a Comment