which type of education are we need in our india?
कैसी शिक्षा हमे चाइए?
आज की समय मे शिक्षा को मात्र नौकरी प्राप्त करने का संसाधन समझ जाता है । तो हमे अपनी शिक्षा प्रणाली को बदलना होगा।
तथागत गौतम बुद्ध ने कहा है कि किसी भी बात तो सच तभी मनना जब वह बात आपके तर्क विवेक की कसौटी पर खरी उतरे। अन्य व्यक्तियों के सम्मुख उसका औचित्य प्रमाणित कर सको और वह मानव के कल्याण के लिए हो, अन्यथा की स्थिति में किसी भी बात को सीधे अमान्य कर देना। उसे किसी भी पंरपरा, सिद्धांत , मूल्य , भाग्य, भगवान, धर्मग्रन्थ, किताब, सभ्यता , संस्कृति को निःसंकोच भाव से किंचित मात्र भी देर किए बिना सीधे त्याग देना। हमे शिक्षा और नैतिकता को भी इसी तरह से विस्तृत दायरे में समझने की आवश्यकता है।
*नैतिकता का सही अर्थ - किसी इंसान को इंसान ही समझा जाए उससे न कम और न ज्यादा।* इसी तरह के विवेक समस्त प्रगतिशील मूल्य पूरक शिक्षण प्रशिक्षण हमारे बच्चो को प्रदान किया जाए तभी आसानी से सम्पूर्ण व समावेशी प्रगतिशील *भारतीय समाज* का निर्माण किया जा सकेगा।
बच्चो में उनकी तर्कबुद्धि को विकसित करने में उत्क्रष्ट सहायक की भूमिका का निर्वहन करना एक अच्छे माता पिता एवम शिक्षक का प्राथमिक दायित्व है।
हमारे विद्यालयों में पूरा माहौल संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा दिए जाने वाला ही बनाना पड़ेगा। इसका कोई विकल्प नही है।
संवेधानिक मूल्य से मतलब समाज मे समता, स्वतन्त्रता, अपनापन तथा न्याय जैसे सार्वजनीन मानवीय मूल्यों को बच्चो में पैदा करना, उनका संरक्षण एवं सम्वर्धन करना है, आचार परक तथा आचरण परक शिक्षण का प्रशिक्षण अध्यापकों की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
बच्चो में उनकी तर्कबुद्धि को विकसित करने में उत्क्रष्ट सहायक की भूमिका का निर्वहन करना एक अच्छे माता पिता एवम शिक्षक का प्राथमिक दायित्व है।
हमारे विद्यालयों में पूरा माहौल संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा दिए जाने वाला ही बनाना पड़ेगा। इसका कोई विकल्प नही है।
संवेधानिक मूल्य से मतलब समाज मे समता, स्वतन्त्रता, अपनापन तथा न्याय जैसे सार्वजनीन मानवीय मूल्यों को बच्चो में पैदा करना, उनका संरक्षण एवं सम्वर्धन करना है, आचार परक तथा आचरण परक शिक्षण का प्रशिक्षण अध्यापकों की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
शहीद ए भगत सिंह ने एक बार कहा था कि स्वतन्त्र चिंतन और करुणा रहित आलोचना का होना व्यक्ति के प्रत्येक क्रांतिकारी चिंतन और परिवर्तन क्रियाकलाप के दो आवश्यक प्रस्थान बिंदु है, हमें अपने बच्चों को सिद्धांत और व्यवहार में एकरूपता रखने का रखने का प्रशिक्षण देना पड़ेगा।
सूर्यमित भारतीय
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