Posts

Showing posts from October, 2017

discrimination- भेदभाव

Image
*।।। नमो भारत ।।।* एक विचार- *एक डर भेदभाव का , नफरत का*  दोस्तो ,हम सभी मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सभी को किसी न किसी से डर जरूर लगता है।  वैसे से ही मुझे भी डर लगता है। डर लगता है लेकिन किस्से इस प्रश्न का उत्तर कुछ को हैरान कर सकता है।  उत्तर है - धर्म। धर्म से डर क्यो? अब हम इस बात पर आते हैं।  धर्म अच्छा है या बुरा इसके प्रति मेरी जिज्ञासा शांत हो चुकी है। मैं वर्तमान को देखते हुए यह बात अनुभव की है आज के युवावर्ग जो कि भारत मे बहुत है उनमें से बहुत से ऐसे है जो तर्कहीन जिंदगी जी रहे हैं। धर्म के कर्मकांडो को फॉलो कर रहे हैं और साथ मे पक्षपाती भी बनरहे है।  सोशल मीडिया पर दिन प्रति दिन हिन्दू इस्लाम पर और इस्लाम हिन्दू पर कटाक्ष करते हुए मिल जाएंगे। कभी हिन्दू ने मुस्लिम को पीटने की तो कभी मुस्लिम ने हिन्दू को पीटा की न्यूज़ सोशल मीडिया पर आती है साथ मे यह भी लिखा होता है कि इसे ज्यादा से ज्यादा फैलाये। जिससे लोगो का साथ हो। धार्मिक कार्यकर्मों के करते समय दूसरे धर्म के लोग ने अपद्र्व किया। मारपीट हो जाती है। इसकी न्यूज़ सोशल मीडिया पर शेयर...

कर्मकांडो के नाम पर अनगिनत मृत्यु

Image
कर्मकांडो के नाम पर अनगिनत मृत्यु |||नमो भारत||| दोस्तो हर वर्ष के भांति इस वर्ष भी लोगो ने अंधभक्ति से परिपूर्ण कई कर्मकांड किये और करते रहेंगे। चाहे वह दुर्गापूजा हो या मुहर्रम या कोई और दूसरा कार्यक्रम।  मेरा ध्यान कर्मकांड पर नही है मेरा मकसद है कि आपका ध्यान इन कर्मकांड के नाम पर हर साल लोगो की मृत्यु पर केंद्रित करना है। हर साल हजारों की सख्या में लोग इन कर्मकांडो के समय हुए घटनाओं में मरते हैं। कई लोग बहुत बुरी तरह घायल होते हैं। कई जगह पर मारपीट, झगड़े, ढंगे, खूनखराबा यह सब भी होता है उसमें भी कई लोग मरते और घायल होते हैं। लोग खुशियो की जगह मातम को घर मे बुला लाते हैं। हमारी जनता ही इन कर्मकांडो में इस तरह लिप्त हैं कि उन्हें खुद अपनी सुरक्षा की चिंता नही होती।  क्या इन अंधविश्वासी कर्मकांडो को करते समय हुए मृत्यु हुए लोगो को स्वर्ग या जन्नत मिलती हैं। क्या वजह है ?  लोग इस तरह लिप्त हैं कि उन्हें सही गलत का फर्क तक नजर नही आता। धर्म के नाम पर लोग मरने मारने पर उतारू रहते हैं। किसने बनाया ऐसे नियम धर्मो में । ऐसे कर्म कांडों को करने के लिए बाध्य किया।...