discrimination- भेदभाव

*।।। नमो भारत ।।।*




एक विचार- *एक डर भेदभाव का , नफरत का* 



दोस्तो ,हम सभी मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सभी को किसी न किसी से डर जरूर लगता है। 
वैसे से ही मुझे भी डर लगता है। डर लगता है लेकिन किस्से इस प्रश्न का उत्तर कुछ को हैरान कर सकता है। 
उत्तर है - धर्म।
धर्म से डर क्यो? अब हम इस बात पर आते हैं। 
धर्म अच्छा है या बुरा इसके प्रति मेरी जिज्ञासा शांत हो चुकी है। मैं वर्तमान को देखते हुए यह बात अनुभव की है आज के युवावर्ग जो कि भारत मे बहुत है उनमें से बहुत से ऐसे है जो तर्कहीन जिंदगी जी रहे हैं। धर्म के कर्मकांडो को फॉलो कर रहे हैं और साथ मे पक्षपाती भी बनरहे है।
 सोशल मीडिया पर दिन प्रति दिन हिन्दू इस्लाम पर और इस्लाम हिन्दू पर कटाक्ष करते हुए मिल जाएंगे। कभी हिन्दू ने मुस्लिम को पीटने की तो कभी मुस्लिम ने हिन्दू को पीटा की न्यूज़ सोशल मीडिया पर आती है साथ मे यह भी लिखा होता है कि इसे ज्यादा से ज्यादा फैलाये। जिससे लोगो का साथ हो। धार्मिक कार्यकर्मों के करते समय दूसरे धर्म के लोग ने अपद्र्व किया। मारपीट हो जाती है। इसकी न्यूज़ सोशल मीडिया पर शेयर की जाती है। लोग बिना सोचे समझे शेयर भी करते हैं जो झगड़े को हवा देती है। दो अलग धर्म या जाति के दोस्त दुश्मन बन जाते है। आसपास के लोग उसमे बहुत रुचि लेते हैं। धार्मिक लोग मन मे यही सोचते हैं कि इस बार थोड़ी सी कसर रह गई अगली बार कसर पूरी कर देंगे। *धर्म के प्रति मेरा अनुभव यह है कि यह एक विस्फोटक पदार्थ है जिसे चिंगारी की जरूरत है और यह विस्फोट कर देगा।* ऐसे विस्फोट भारत मे हर वर्ष होते हैं। कंही पर छोटे झगड़े के रूप में तो कभी बड़े ढंगे के रूप में लेकिन विस्फोट होते जरूर है। 
यह सिर्फ दो धर्म की बात नही ऐसा दो जातियों में भी है एक जाति दूसरे जाति को नीच कहते हैं मारते हैं पीटते है। यह नफरत इस हद तक बढ़ गई है कि लोग एक दूसरे का कत्ल भी करने से नही डरते हैं। यह भेदभाव *एक इंसान दूसरे को इंसान नही समझता।*
एक धर्म के व्यक्ति दूसरे धर्म के व्यक्ति से मजबूत दिखने और दिखाने में व्यस्त हो गए है। धार्मिक जुलूसों में हथियारों का प्रदर्शन बढ़ गए। 
*धर्म राष्ट्र से बड़ा नही होता*। *धर्म नैतिकता ,इंसानियत से बड़ी नही होती।*
बहुत से लोग यह भी कहते हैं कि धर्म बिना छोड़े हम हम दोस्त बने रह सकते है । लेकिन यह स्वार्थी दुनिया भेदभाव और और लोगो उकसाने का जरिया बार बार लाते रहे है और लाते रहंगे। कोई गाय के मीट के साथ तो कोई सूयर के। कुछ लोग ऐसी हरकत जानबूझकर करते है। कुछ ऐसे मामले सामने भी आये हैं और लोग रंगे हाथ पकड़े गए भी। लेकिन एक कल्पना करिए अगर वह व्यक्ति न पकड़े गए होते तो वँहा का क्या नज़ारा होता। फिर झगड़े और ढंगे तय थे। इसे कोई नकार नही सकता है। 
इतिहास में झांका तो कुछ ऐसी बाते पता चली जो आज के समय मे नही खोगई है।
 एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति , पशु पक्षी , पेड़ पौधे के प्रति कैसा व्यवहार होना चाहिए। या यह भी कह सकते ही एक व्यक्ति का चरित्र कैसा होना चाइए । इसका ज्ञान दिया जाता था । यह सिखाया जाता था। लोगो को एक दूसरे से जोड़ने का काम राष्ट्र ने किया था न कि धर्म ने। *भारत को भी आजादी धर्म के बजह से नही राष्ट्र के प्रति प्रेम ने दिलाया।* जो कि राष्ट्र को बेहतर बनाने में सहायक होते थे। इतिहास में ऐसे राजा भी हुए जिन्होंने इसके लिए भी अधिकारी नियुक्त किये थे कि हर एक व्यक्ति अपने घर के अंदर से लेकर समाज मे कैसे रहते हैं , कैसे व्यवहार करता है उसकी पूरी जानकारी राज्य के राजा के पास होती थी। उसकी पूरी  ज्ञान देने से मेरा तातपर्य यह कि चरित्र कैसा हो यह तो हमे भी पढ़ाया जाता है  लेकिन सिखाया नही गया। हमने नैतिक शास्त्र के किताबों में पढ़ा लेकिन उपयोग नही आता। हमे यह बातें बताई गई लेकिन याद नही कराई गई। 
नैतिकता की बाते बहुत से लोग करते हैं लेकिन जब धर्म आता है तो धर्म जीत जाता है और नैतिकता हार जाती है। 
*हमे राष्ट्र के प्रति समर्पित होना होगा न कि धर्म के प्रति। राष्ट्रीयता ही एक ऐसा बंधन है जो हमे बिना किसी भेदभाव , स्वार्थ के एक साथ जोड़ सकती है।*

सूर्यमित भारतीय
बिहार इकाई
सम्राट प्रियदर्शी युथ फाउंडेशन ऑफ इंडिया

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