सर्वविदित हो की कल दिनांक (3/01/16) रविवार को प्रथम महिला शिक्षिका एवं राष्ट्र माता सावित्री बाई फूले का जन्म दिन बड़े ही धूमधाम, हर्षोल्ल्लास तथा श्रद्धापूर्वक सम्राट प्रियदर्शी युथ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के द्वारा मनाया गया।
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lll नमो
भारत lll
सर्वविदित हो की कल
दिनांक (3/01/16) रविवार को प्रथम महिला शिक्षिका एवं राष्ट्र माता सावित्री बाई फूले
का जन्म दिन बड़े ही धूमधाम, हर्षोल्ल्लास तथा श्रद्धापूर्वक सम्राट प्रियदर्शी युथ
फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के द्वारा मनाया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत
निर्धारित समय 12:00 बजे हुई। कार्यक्रम
का संचालन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता
" माननीय हर्ष भारतीय जी” ने बड़ी ही कुशलतापूर्वक किया।
कार्यक्रम के प्रथम चरण में - अखिल भारतीय मौर्य महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष “माननीय राम देव मौर्य” के द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत पंचशील तथा बुद्ध
वंदना से की।
कार्यक्रम के दुतीय चरण में - सभी
साथियों ने एक - एक करके अपना परिचय सभी साथियों को दिया।
तथागत बुद्ध और राष्ट्र माता सावित्री बाई फूले के कर कमलों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए नमन किया।
कार्यक्रम के तीसरे चरण में - संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष “माननीय संजय भारतीय
जी” ने राष्ट्र माता सावित्री बाई फूले का सम्पूर्ण जीवन का परिचय
देते हुए उनके द्वारा किये त्यागों तथा योगदानों
पर विस्तार से प्रकाश
डाला।
कार्यक्रम के चौथे चरण में - संस्था
के राष्ट्रीय राजनैतिक सचिव “माननीय संजय कुमार
भारतीय जी” ने अपने जोशीले अंदाज में सभी युवाओं में जोश भरते हुए राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फूले
के जीवन परिचय तथा उनके योगदानों का संक्षिप्त
विवरण दिया।
कार्यक्रम के पांचवे चरण में - संस्था
के राष्ट्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव “माननीय अरुण भारतीय
जी” ने राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फूले
का महिलाओं के प्रति समर्पण त्याग की प्रशंसा करते हुए महिलाओं को इस अवसर पर आगे आने
के लिए प्रेरित किया। सभी साथियों
से अनुरोध किया कि आगे से सभी साथी अपनी माताओं, बहनो तथा पत्नियों के साथ
ऐसे अवसर पर जरूर शामिल हो, जिससे महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ेगा। तथा उन्हें बल मिलेगा
तथा महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होगी।
कार्यक्रम के छठे चरण में - संस्था
के लेखक संघ के अध्यक्ष एवं सम्राट प्रियदर्शी युथ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के धम्म गुरु
“आदित्य मैत्रेय
जी” ने अपने विचार रखे तथा कहा की महिलाओं
का किसी भी घर, समाज तथा देश के विकास में
महत्त्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन इस पुरुष प्रधान देश में महिलाओं को अधिकारों से वंचित रखा गया है तथा उन्हें
मनगढ़ंत तौर -तरीके बताकर, घर की दासी मात्र मानकर घर तक ही सीमित रखा गया। इसका मुख्य
कारण यह था कि उन्हें शिक्षा से वंचित रखा गया। महिलाओं के
प्रति राष्ट्र माता के इस समर्पण को शत -शत नमन करते हुए तहे दिल से सराहना की।
कार्यक्रम के सातवें चरण में - संस्था के संगठन सचिव “माननीय अतिन्दर प्रताप
भारतीय” ने अपने विचार रखे तथा कहा कि भारत के शिक्षण व्यवस्था इतनी बिगड़ी हुई
है कि बच्चों को सोंचने तथा समझने की क्षमता का पूर्णतया विकास नहीं हो पा रहा है। तर्क संगत शिक्षा की कमी है , देश की वास्तविकता हमारे बच्चों तथा युवाओं से दूर रखी जा रही है , आखिर क्यों ? हमें गहराई से विचार करने तथा उसके विरुद्ध खड़े
होने की जरुरत है।
कार्यक्रम
के आठवें चरण में - हमारे बीच में उपस्थित “माननीय अमरेश मौर्य”
जी में अपने अनुभओं के आधार पर वर्तमान देश तथा समाज के प्रति अपने विचार दिए। उन्होंने राष्ट्रमाता के इस योगदानों के सराहना
करते हुए कोटि -कोटि नमन किया। हमारी संस्था
के जुझारू साथियों के हौसले को सलाम करते हुए
उचित निर्देश भी दिया। हमारे इस बढ़ते कदम के साथ कदम
से कदम मिलाकर चलने का भरोसा भी दिलाया।
कार्यक्रम के नवें चरण में - हमारे बीच में उपस्थित सॉफ्टवेयर इंजीनियर “माननीय सत्येन्द्र
जी” अपने कुछ चुनिंदा शब्दों के माध्यम से लोगों को अपनी ओर आकर्षित होने
पर मजबूर कर दिया। हमारी टीम के साथ
कदम से कदम मिलाकर चलने का भरोसा भी दिलाया।
कार्यक्रम
के दसवें चरण में - हमारे
बीच में उपस्थित, “डॉ एस. पी. सिंह” अपने विचार रखें।
उन्होंने हमारे टीम की प्रशंसा करते हुए इसे बड़े स्तर पर लाने का निर्देश दिया
और कहा कि लोगों को पता होना चाहिए वास्तव
में शिक्षा की देवी कौन है ? सरस्वती या राष्ट्रमाता सावित्री बाई फूले। पूर्ण भरोसा दिलाया कि वे हर स्तर पर हमारी टीम
के सहयोग के लिए तत्पर है।
कार्यक्रम
के ग्यारहवें चरण में - हमारे बीच में उपस्थित “माननीय सरोज सिंह जी”
(अध्यापिका) ने राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फूले
का सम्पूर्ण जीवन परिचय दिया।
उनका कहना था कि हिन्दू
धर्म में जिस सरस्वती को ज्ञान की देवी कहते है
अब तक उनका शिक्षा के क्षेत्र में क्या योगदान है ? किसी हिन्दू
के पास उनके प्रश्नों का जबाब नहीं होगा।
इसलिए भारत पाखंडों
से मुक्त हो तथा वास्तविकता को पहचाने। यही
वे चाहती है।
कार्यक्रम
के बारहवें चरण में- हमारे
बीच में उपस्थित, अखिल भारतीय मौर्य महासभा
के अध्यक्ष, “माननीय राम देव मौर्य जी” ने अपने विचार रखे। उन्होंने समाज तथा देश के प्रति बुद्ध के योगदानो को विस्तार पूर्वक वर्णन
किया। इस
बात पर जोर दिया की बुद्द के विचारों को अपनाये बिना समाज, भाईचारा, एकता एवं
अखंडता की बता करना कल्पना मात्र है।
कार्यक्रम
के तेरहवें चरण में- हमारे बीच में उपस्थित, “मेवालाल जी”
ने अपने द्वारा लिखी गई पुस्तक '' शोषण कैसे होता है '' के बारे में बताया। अपने द्वारा रचित पंक्तियों के माध्यम
से अपनी एक अलग छाप छोड़ दी।
कार्यक्रम के चौदहवें चरण में- संस्था के संगठन सचिव “माननीय सुर्यमित भारतीय”
ने युवा को आगे आने की बात कही। उन्हें आज ही आगे
आकर अपने समाज और देश के प्रति अपने कर्तव्य को पूर्ण करने होगे। अभी नहीं तो कभी नहीं। तभी भविष्य में उसका परिणाम दिखाई देगा। अगर युवा ये सोच रहा है
कि हम अभी नहीं भविष्य में कुछ करेंगे तो तब तक बहुत देर हो जायेगी।
कार्यक्रम के पंद्रहवे चरण में- हमारे
राष्ट्रीय महासचिव “माननीय संदीप भारतीय
जी” ने अपने विचार बहुत ही काम शब्दों के माध्यम से रखें क्योकि वह व्यक्तिगत कारणों से देर में पहुंचे तथा सभी साथियों का आभार
भी व्यक्त किया।
कार्यक्रम के सोलहवें चरण में-
संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष, माननीय
'' अखंड
भारत'' जी ने अपने विचार तथा संस्था
की योजनाओं पर गहराई से प्रकाश डाला। जोकि निम्न है।
१. केवल छोटे स्तर
पर महापुरुषों की जयंतियों को मना लेने से
असली श्रद्धांजलि उनको अर्पित नहीं होती है।
हमें एक जुट होकर उनके सपनो को साकार करना होगा। हम उनके बताये हुए रास्ते पर चलकर एक नव निर्मित अखंड भारत का सपना साकार करके ही उनके द्वारा दिए बलिदानो
का एहसान कुछ हद तक चुका पाएंगे। भारत के हर नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि वह
देश में सच्चाइयों के प्रति
जागरूक हो तथा और लोगों को भी जागृत करें।
२. आज भारत देश में
जो अच्छे लोग हैं वे चुप रहते है, क्योकि उन्हें सच्चे नेतृत्वकर्ता की तलाश है। अभी तक उस नेतृत्वकर्ता की तलाश बाकी है। वे विश्वास करें तो किस पर ? आज हर तीसरा व्यक्ति चालाक, दुराचारी, नशाखोर, धोखेबाज,
चापलूस, व्यभिचारी तथा भ्रस्टाचारी होता जा रहा है। उन्हें मजबूरी में किसी चालाक, दुराचारी, नशाखोर, धोखेबाज, चापलूस,
व्यभिचारी तथा भ्रस्टाचारी का समर्थन करना होता है। अगर इसी प्रकार हम चुप बैठे, तो देश पतन की राह
पर ही चलेगा। कुछ चंद धूर्त लोग ही भारत के लोगों को भर्मित करके अपना उल्लू सीधा करते
रहेंगे। वर्तमान भारत को अनुभवी तथा पढ़े-लिखे
लोगो के वजाय अच्छे , ईमानदार, देशभक्त तथा
कर्तव्यनिष्ठ लोगों की जरुरत है।
३. किसी देश के नेतृत्वकर्ता
पर लोगों का पूर्णविश्वास होना बहुत ही जरुरी है।
ऐसा तभी हो सकता है जब नेतृत्वकर्ता खुद सच्चा देशभक्त, निस्वार्थी,
कर्तव्यनिष्ठ तथा जनता व देश के मान सम्मान
के लिए खुद को न्योछावर कर देने वाला हो। वह नेतृत्वकर्ता कहीं बाहर से निर्यात होकर नहीं
आएगा। हमें अपने बीच में ही ढूढ़ना होगा और कदम से कदम मिलाकर उसका समर्थन करना होगा।
४. आगामी २६ जनवरी
को हम गणतंत्र दिवस बड़े ही धूम- धाम से मनाने
की योजना पर कार्य कर रहे है। जिसमें सभी संगठनो
के अध्यक्षों की उपस्थिति में सामूहिक झंडा-रोहण का आयोजन किया जायेगा। जिसमें
हम सभी छोटे बड़े संगठनों को आमत्रित करेंगे। हम अतिशीघ्र ही उन्हें निमंत्रण -पत्र भेजा जायेगा।
सभी संगठनों से मेरा अनुरोध है कि वे अपनी टीम के साथ पधारे और हमें अनुगृहीत करें।
हम सदैव उनके आभारी रहेंगे।
५. शिक्षा हमारे समाज
की ऐसी कुंजी है जिससे हर समस्या का समाधान निश्चित है। हम
पूरे भारत में ऐसे शिक्षण संस्थानों को खोलने
की योजना पर कार्य कर रहे है, जो देश को नयी
दिशा देने के लिए हमारे बच्चों को बचपन
से ही सत्य, अहिंसा तथा न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सके , उचित शिक्षा प्राप्त हो सके तथा देश की वास्तविकता का पता चल सके।
अंत में संस्था के
संयोजक माननीय दिनेश भारतीय जी ने सभी आये हुए सम्मानित साथियों का आभार व्यक्त किया। साथ की अनुरोध किया कि सभी साथी अपना सहयोग तथा
विश्वास इसी प्रकार बनाये रखे। हम सदैव
आपकी सेवा में तत्पर रहेंगे।
इसके उपरांत माननीय
भंते जी ने शांति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन किया।
सम्राट प्रियदर्शी
युथ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया
(विशिष्ट भारतीय युवा
समाजसेवी संगठन)
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