"Nationality" Its not a hindu nation.

III नमो भारत III जय भारत III
'' राष्ट्रवाद, न कि हिन्दू राष्ट्रवाद! ''
वर्तमान राजनैतिक स्थिति के संदर्भ में ‘‘हिंदू धर्म, पारंपरिक रूप से, अन्य सभी भारतीय धर्मों से तुलनात्मक रूप में सबसे अधिक असहिष्णु रहा है। हाल में कट्टरवादियों द्वारा फैलाये जा रहे धार्मिक तनाव और घृणा फैलाने वाले भाषणों से ऐसा लगता है कि हिंदू धर्म अपना सौम्य चेहरा बदल रहा है।
इन दिनों हिन्दू के नाम पर बहुत ही बुरी तरीके से राजनीति हो रही है। हमें इसे गंभीरता से समझने की जरुरत है। हिन्दू का वास्तविक मतलब ही है -गैरबराबरी। जब हम हिन्दू हैं तो गैरबराबरी में अर्थात विभिन्न जातियों जैसे यादव, कुर्मी, माली, चमार, ब्राह्मण में क्यों बंटे हैं ? किसने बांटा हैं हमें ? कब तक हम बंटे रहेंगे ? कब हम वास्तविकता को अपनाएंगे ? जातियो में बांटकर समाज की एकता एवम भाईचारे को तोड़कर हम पर शासन किया गया है। उस समय जब मूल निवासियों की एकता एवम अखंडता को तोड़ कर शासन करने लिए जातीय व्यवस्था बनाई गई थी। अगर इस न किया गया होता तो आज ब्राह्मणवाद का नामों निशान न होता।
इन दिनों आरएसएस की विचारधारा, अर्थात हिंदुत्व विचारधारा जोकि कोई विचारधारा नहीं सिर्फ षडयंत्र हैं, से जुड़े संगठन लगातार ऐसी बातें कह रहे हैं जिनसे यह ध्वनित होता है कि भारत हमेशा से हिंदू राष्ट्र है और रहेगा। उनमे से कुछ भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी प्रगट कर रहे हैं। हिंदू एक धर्म है। हिंदुत्व एक राजनैतिक विचारधारा है। हिंदुत्ववादी संगठन तरह-तरह की बेहूदा बातें कर रहे हैं। वे दूसरे समुदायों के प्रति घृणा का वातावरण पैदा करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। हिंदुत्ववादी कई अलग-अलग बातें कह रहे हैं और उनके दावों में परस्पर विरोधाभास भी है। परंतु सबका लक्ष्य एक ही है-किसी न किसी तरीके, किसी न किसी बहाने से धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना। जो मूल प्रश्न पूछा जाना चाहिए वह यह है कि क्या संघ परिवार से उठ रही आवाजें, हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करती हैं या वे हिंदू धर्म के नाम पर राजनीति करने का प्रयास है।
संघ परिवार, हिंदू धर्म को इस धर्म की एक संकीर्ण विचारधारा -ब्राह्मणवाद-से जोड़ रहा है। हिंदू धर्म में ढे़र सारे काल्पनिक देवता हैं, ईश्वर की कई तरह की मीमांसाएं हैं और सैंकड़ों काल्पनिक पवित्र ग्रंथ हैं। जिसमे चमत्कारों के बल पर लोगों डराने का भरपूर प्रयास किया गया है। जिन्हें लोगों को पढ़ने एवं मानने पर मजबूर किया जाता रहा है। लोगों में जागरूकता एवं शिक्षा की कमी होने के कारण डर वश हमेशा सत्य को दरकिनार करते हुए, असत्य को अपनाया गया है और आज भी यह प्रक्रिया जोरो से चल रहा है। पूरी कोशिश है की लोगों में अज्ञानता भरी रहे और हमेशा इसी विचारधारा में लिप्त रहें। लेकिन इस नहीं है। धीरे धीरे समाज अपने बल पर शिक्षित और जागरूक हो रहा है। एक न एक दिन यह सच्चाई जनता जरूर कबूल करेगी और उसे दिल से गले लगाएगी।
राष्ट्रवाद शब्द से समाज की एकता एवम अखण्डता को मजबूती प्रदान की जा सकती है न कि हिन्दू राष्ट्रवाद से।
चूंकि अधिकांश हिंदू, गांधीजी के अनुयायी थे, गाँधी ने राष्ट्वाद को महत्व दिया था न कि हिन्दू राष्ट्रवाद को। इसलिए हिंदू महासभा-आरएसएस का असहिष्णु हिंदू धर्म हाशिए पर पड़ा रहा। परंतु पिछले तीन दशकों में राममंदिर आंदोलन से शुरू होकर, राजनीति में ‘दूसरों’ के बारे में असहिष्णु दुष्प्रचार का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है। नहीं चाहिए इस राम मंदिर, जिसमे लोगों की हत्याएं करवाकर सत्ता को हथियाया जाय। राम मंदिर के नाम ऊपर षड़यंत्र को जनता कब समझेंगी और जानेगी ? इस समय देश पर भाजपा का शासन है। स्वाभाविक तौर पर भाजपा और उससे जुड़े संगठनों को राज्य का संरक्षण प्राप्त है और इसलिये वे और खुलकर धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरूद्ध घृणा फैला रहे हैं।
वे उन लोगों को आतंकित करना चाहते हैं जो राजनीति और धर्म के उनके संस्करण से सहमत नहीं हैं। आरएसएस की राजनीति केवल ‘दूसरों’ को आतंकित करने तक सीमित नहीं है। वह उन हिंदुओं पर भी निशाना साध रही है जो संघ से भिन्न राय रखते हैं। हम जैसे लोगों को रोजाना अपमानित करने वाले और अश्लील भाषा में लगभग गालियां देने वाले संदेश बड़ी संख्या में मिलते हैं।
जैसे-जैसे धर्म के नाम पर राजनीति परवान चढ़ती जायेगी, समाज में असहिष्णुता और भी बढ़ेगी। हमारे सामने चुनौती यह है कि हम लोगों को कैसे यह समझायें कि धर्म और धर्म के नाम पर राजनीति एकदम अलग-अलग चीजें हैं। लोगों को भी बड़ी गंभीरता से यह बात जाननी और समझनी होगी ताकि उनका जादू हम पर न चल सके। अगर हम अपने आप को संभाल सकते हैं तो उनकी षड्यंत्रकारी सारी योजनाएं ही विफल हो जाएगी। अगर इस होता है तो समझ लो मानवता की जीत हुई है और आगे भी मानवता की जीत के साथ हमारी एकता एवम अखंडता दिन प्रति दिन बढ़ती दिखेगी। जो हमारे लिए, विकसित भारत के लिए, समृद्ध भारत के लिए, सुदृण भारत के लिए एवं सुशिक्षित भारत के लिए बहूत ही कारगर साबित होगी।
सत्य, अहिंसा एवं न्याय का साथी तथा सहयोगी
सम्राट प्रियदर्शी यूथ फाउंडेशन ऑफ इंडिया
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