rastriyta or siksha me sabandh
III नमो भारत III जय भारत III
“राष्ट्रीयता और शिक्षा का सबंध”
यह सोच कर
बहुत आश्र्चर्य होता
है की भारत
में कभी राष्ट्रीयता
का बोध नहीं
कराया जाता , शायद
इस पर यहां
के लोगो को
अधिक आश्रचर्य न
हो। क्योंकि
राष्ट्रीयता एक नया
शब्द भारत के
लिए है। लेकिन इस शब्द
में निहित भावना
ने सारी दुनिया
में कमाल कर
रखा है। इग्लैंड,
जर्मनी , जापान , फ्रांस , अमेरिका रूस
यही राष्ट्रीयता की
भावना से अोत-
प्रोत नागरिक ने
जिस हिम्मत और
उत्साह के साथ
राष्ट्र की उन्नति
में योगदान किया
है।
हमारे देश के
शासकों में राष्ट्रीयता
का आभाव है
आज ६८ वर्षो
की आजादी के
बबद हम अन्न
, रुई , उवर्रक, मशीनरी और
इस्पात के मामले
में स्वालम्बी नहीं
हो सके।
भारत में प्रत्येक
नागरिक को शिक्षा
क्यों दिया जा
रहा है , इसे
प्रत्येक नागरिक को बताया
जाना चाहिए। तमाम ऐसे
देश हैं जहां
शिक्षा का उदेश्य
बताया जाता है। इजराइल
में किसी विधार्थी
से आप पूछेंगे
की तुम शिक्षा
किस लिए ग्रहण
करते हो तो
उसका उत्तर होगा
की राष्ट्र के
स्वाभिमान की रक्षा
के शिक्षा ग्रहण
करते हैं। राष्ट्र के स्वाभिमान
की रक्षा के
लिए प्रत्येक विधार्थी को सैनिक
शिक्षा अनिवार्य कर दी
गई। इस
तरह की सैनिक
शिक्षा कभी भारत
में २३०० वर्षो
पहले दी जाती
थी। यही
कारण है की
२५ लाख की
आबादी वाला इजराइल
१० करोड़ की
आबादी वाली अरब
राष्ट्रों से अकेले
मुकाबला करता रहता
है। यह
उदेश्यपूर्ण शिक्षा का कमाल
है।
जापान में किसी
भी विदार्थी से
पूछेंगे की शिक्षा
किस लिए ग्रहण
क्र रहे हो
तो वह टपक
से उत्तर देगा
की जापन के
स्वाभिमान और आर्थिक
विकास के लिए
शिक्षा ग्रहण करते है। जापान
के लिए शिक्षा
ग्रहण करते है। जापान
में तो यहाँ
तक विद्यार्थी को
शिक्षा दी जाती
है की मन
लो तुम्हारे इष्ट
देव, जिसे तुम
पूजते हो वही
जापान पर आक्रमण
कर दे तो
क्या करोगे। वंहा इसका
उत्तर तपाक से
मिलेगा की राष्ट्र
की सुरक्षा के
लिए इष्ट देव
से भी लड़ना
पड़े तो लड़ा
जाएगा। यही
कारण है की
इन देशों में
प्रत्येक व्यक्ति को अपने
देश की रक्षा
व् स्वाभिमान अपने
देश की रक्षा
व् स्वाभिमान कायम
रखने का ध्यान
रहता है और
उसके लिए उसे
जान भी देने
में रंचमात्र भी
हिचक नहीं रहता,
आज भारत में
किसी विद्यार्थी या
शिक्षक से पूछ
दो की तुम
शिक्षा किस लिए
ग्रहण करते हो
तो उत्तर शायद
यही मिलेगा की
अपने विकास और
नौकरी पाने लिए
शिक्षा ग्रहण करते है। कोई
यह नहीं कहेगा
कि भारत की
आनवान शान की
रक्षा और भारत
को आर्थिक रूप
से संपन्न राष्ट्र
बनने के लिए
शिक्षा ग्रहण करR रहे
है।
सबसे पहले शिक्षा
का उदेश्य सारे
देश के स्कूलों
में बताना चहिए। सारे
देश के विद्यार्थी
को यह भली
- भांति जान सके
की वह इसलिए
पढ़ते है कि
जिससे राष्ट्र का
स्वाभिमान व् एकता
रख सके। शिक्षा का उदेश्य
राष्ट्र का स्वाभिमान
व एकता कायम
रखना है। शायद आज
सारे देश के
विधालयों में शिक्षा
का उदेश्य गगयब
है। केवल
ज्ञान प्राप्त करना
ही शिक्षा का
उदेश्य कैसे हो
सकता है। उदेश्यहीन शिक्षा की
वजह से ही
देश के नौजवान
भटक रहे है,
जातियता , धार्मिक उन्माद , भाषाई
क्षेत्रीय ताकते सर उठाने
लगती है। राष्ट्रीयता युक्त शिक्षा
दिए बिना देश
का विकाश संभव
नहीं है।
सुर्यामित भारतीय
सम्राट प्रियदर्शी युथ फेडरेशन
ऑफ़ इंडिया
Comments
Post a Comment